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Rewa news:भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा जलजीवन मिशन, पानी की जगह बह गए 136 करोड़: एड, बीके माला। 

Rewa news:भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा जल जीवन मिशन, पानी में बह गए 136 करोड़: एड बी के माला

 

 

 

 

 

आईएएस की रिपोर्ट में खुलासा, दोषियों पर कार्यवाही करने के बजाय दस माह से रिपोर्ट दबाकर बैठे अफसर

रीवा .जल जीवन मिशन के तहत नल में बिना जल दिए अधिकारी कर्मचारी 136 करोड़ रुपए डकार गए हैं। यह खुलासा एक आईएएस की रिपोर्ट में हुआ इस है। इस रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बजाय आला अफसर इसे दबाकर बैठ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल के माध्यम से पेयजल मुहैया कराने की योजना प्रदेश में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।

 

 

 

 

 

 

इस योजना में लगातार करोड़ों के घोटाले का खुलासा होने के बाद भी पीएचई, निगम के अफसरों आज तक कारवाई नहीं है। नई रिपोर्ट रीवा जिले की है। रीवा जिले में जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार का आईएएस ने खुलासा किया है। जल जीवन मिशन में मिली घोटाले की शिकायतों के बाद रीवा कलेक्टर के निर्देश पर सहायक कलेक्टर एवं आईएएस अधिकारी सोनाली देव की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी में कोषालय अधिकारी आरडी चौधरी, पुष्पराज सिंह, सरदार राहुल भाई पटेल तथा सहायक ग्रेडउ कृष्णकांत वर्मा ने अभिलेखों की जांच की। कमेटी ने संधारित एवं उपलब्ध कराए गए वाउचरों, कैश बुक, स्टाक पंजी, वितरण विवरण, निविदा आदि का परीक्षण किया। साथ में हैंडपंप मेंटेनेंस, विभिन्न फर्मों को किए गए भुगतान की रिपोर्ट ली। कमेटी ने जांच में पाया कि ठेकेदार द्वारा काम पूरा किए बिना अफसरों ने फर्जी भुगतान कर दिया। रिपोर्ट में 136 करोड़ रुपए का घोटाला बताया गया है।

 

 

 

 

रिपोर्ट में सामने आया कि फोटोकापी व वाहनों में एक करोड़ से ज्यादा फूंक दिए गए। आईएएस सोनाली देव ने यह रिपोर्ट 4 मार्च 2024 को जिला कलेक्टर को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बाद इसे दबा दिया गया। सिर्फ गुपचुप तरीके से दोषियों के विरुद्ध केवल शोकॉज नोटिस देकर इतिश्री कर ली गई है।

 

 

 

 

 

 

इन कंपनियों ठेकेदारों को किए भुगतान

पीएचई के इंजीनियरों ने जिन ठेकेदारों और फर्मों को भुगतान किया, उनमें बाबा बैजनाथ कंस्ट्रक्शन, रामकिंकर त्रिवेदी, शिवपूजन सिंह, श्रीबाबा जी कंस्ट्रक्शन, विनय कंस्ट्रक्शन कंपनी सीधी, गौतम कंस्ट्रक्शन रीवा, लक्ष्मेंद्र प्रसाद शुक्ला, शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन, एवी कंस्ट्रक्शन कंपनी रीवा, अभिषेक सिंह, एक्टिव ग्रुप रीवा, अनुष्का कंस्ट्रक्शन, अनीश कुमार मिश्रा, एसपार्कले इंफा, बालेंदु मौली, बीमेश कुमार पाठक, चौहान बिल्डर, दीप राज सिंह रीवा, देव कंस्ट्रक्शन कंपनी रीवा, दिलीप कुमार पांडे, गोविंद कंस्ट्रक्शन कंपनी, आईचट एसोसिएट,
हिलस्टोन हाउसिंग, केडीएस कंस्ट्रक्शन कंपनी, मनोज कुमार दुबे, कुंवर मार्केटिंग प्रायवेट लिमिटेड, नरेंद्र सिंह तोमर, ओम कंस्ट्रशन, ओंकार प्रसाद शुक्ला, आरके बिल्डर, राजमणि प्रसाद तिवारी, रसलीला बिल्डकान, संजय कुमार राय, शैलेंद्र कुमार शर्मा, शांति कंस्ट्रक्शन, शिवेंद्र कुमार तिवारी, स्काई लाइट इंजीनियरिंग, सुरेश प्रसाद चतुर्वेदी, तिवारी इलेक्ट्रिकल, टीआर इंफाटेक, ग्रीन डिजाइन, अनुपमा एज्युकेशन सोसायटी, ज्वाला ग्रामीण स्वरोजगार एवं विकास तथा आईएसए के नाम शामिल है।

 

 

 

 

 

 

कई गांवों के घरों में नहीं मिली नल की पाइप, टोंटी

कमेटी ने हितग्राहियों के यहां एक दर्जन गांवों में पहुंच कर देखा तो पाया कि किसी भी गांव में पानी
की सप्लाई संतोषजनक नहीं पाई गई। पाइप भी पूर्ण रूप से नहीं बिछाया गया। कई गांव ऐसे पाए गए जहां 90 प्रतिशत भुगतान हो गया, लेकिन एक भी घर में पानी की सप्लाई नहीं हुई।

 

 

 

 

 

जिन गांवों का निरीक्षण कमेटी ने किया, उनमें जनकहाई, कोटवाखास, बराह, नष्टिगवां, मदरी, रमगढरा, दर्रहा, गेदुरहा, बदरांव तिवरियान, महरी तथा कोचरी में आदि के अधिकांश घरों में हितग्राहियों को पेयजल का लाभ जीरो प्रतिशत मिला। इन गांवों की आबादी 190 से लेकर 700 तक है। केवल दो गांव केचुआ में 20 प्रतिशत और बराह में 75 प्रतिशत पेयजल का लाभ गांव के लोगों को मिल रहा है।

 

 

 

 

 

 

यह अधिकारी-कर्मचारी जिले में भ्रष्टाचार के जिम्मेदार

रीवा में पदस्थ कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शरद कुमार सिंह, सहायक यंत्री एसके श्रीवास्तव, प्रभारी सहायक यंत्री एसके श्रीवास्तव, प्रभारी यंत्री आरके सिंह, प्रभारी सहायक यंत्री एसके सिंह, सहायक यंत्री एसके सिंह, सहायक यंत्री केबी सिंह, उपयंत्री अतुल तिवारी, उपयंत्री संजीव मरकाम, संभागीय लेखा अधिकारी विकास कुमार फर्जी भुगतान के लिए जिम्मेदार है। रिपोर्ट में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जयशंकर प्रसाद त्रिपाठी, दैवेभो कापिस्ट राजीव श्रीवास्तव के खिलाफ भी कठोर कार्यवाही करने के लिए कहा गया है।

 

 

 

 

 

 

घोटाले के कारण योजना अधर में

घर-घर पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के उद्देश्य से 2019 को शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना अधर में लटकी है। 2024 में मिशन का कार्य अधूरा होने के बाद केंद्र सरकार ने जुलाई 2024 में मप्र के 1271 सर्टिफाइड गांवों में सर्वे कराया। एक निजी एजेंसी द्वारा किए गए इस सर्वे में केवल 209 गांव ही मानकों पर खरे उतरे। 217 गांवों में नल कनेक्शन तो लगाए गए, लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई।

जल जीवन मिशन में किए गए घोटाले का आंकड़ा

योजना मद

हैंडपंप मेंटेनेंस

जल जीवन मिशन

टीपीआई

आईएसए

वाहन, टाइपिंग

कुल घोटाला

राशि का भुगतान

3,17,72,325

130,47,08,870

74,64,762

85,70,124

1,02,94,344

136,28,00,000

 

 

 

 

 

 

13 गांवों में नल कनेक्शन तक नहीं लगाए गए, बावजूद इसके कार्य पूरा दिखा दिया गया। 778 गांवों में जल गुणवत्ता की जांच में 390 सैंपल अमानक पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार सबसे खराब स्थिति रीवा, अलीराजपुर और सिंगरौली जिले के गांवो में है।

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